Old Pension Scheme – देशभर में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को लेकर सरकारी कर्मचारियों में जोश और उम्मीद दोनों दिखाई दे रही है। 9 नवंबर को दिल्ली में एक विशाल आंदोलन की तैयारी चल रही है, जिसमें लाखों कर्मचारी और पेंशनभोगी शामिल होने वाले हैं। वे सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि नई पेंशन योजना (NPS) को समाप्त कर फिर से पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए ताकि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जीवनभर आर्थिक सुरक्षा मिल सके। इस आंदोलन को कई राज्यों के कर्मचारी संगठनों का समर्थन मिल रहा है और सोशल मीडिया पर #OPS_Bahali_Andolan ट्रेंड कर रहा है। यह प्रदर्शन न केवल कर्मचारियों के अधिकारों के लिए है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों की सामाजिक सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ माना जा रहा है।

पुरानी पेंशन योजना बहाली की मांग क्यों तेज हुई
पिछले कुछ वर्षों में नई पेंशन योजना (NPS) के तहत मिलने वाले लाभ सीमित और अनिश्चित पाए गए हैं, जिसके चलते कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है। पुरानी पेंशन योजना में जहां सेवानिवृत्ति के बाद सुनिश्चित मासिक पेंशन मिलती थी, वहीं NPS बाजार पर निर्भर है और इससे रिटायर कर्मचारियों को स्थिरता नहीं मिल पा रही। यही वजह है कि सरकारी कर्मचारी अब एकजुट होकर पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग उठा रहे हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में OPS पहले ही लागू हो चुकी है, जिससे अन्य राज्यों के कर्मचारी भी प्रेरित हुए हैं। इस आंदोलन का उद्देश्य केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर OPS लागू कराना है।
दिल्ली आंदोलन की तैयारियां और कर्मचारियों की भूमिका
9 नवंबर को दिल्ली में होने वाले इस आंदोलन की तैयारियां जोरों पर हैं। देशभर से रेलवे, बैंकिंग, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारी इसमें भाग लेने दिल्ली पहुंच रहे हैं। कई यूनियनों ने पहले ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की घोषणा कर दी है। इस प्रदर्शन को शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावशाली बनाने के लिए हजारों स्वयंसेवक जुटे हुए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल के खिलाफ नहीं, बल्कि अपने हक की लड़ाई है। उनकी मुख्य मांग है – सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलना चाहिए, क्योंकि यह उनकी सेवा के वर्षों की मेहनत और समर्पण का उचित प्रतिफल है।
पुरानी और नई पेंशन योजना में अंतर
पुरानी पेंशन योजना (OPS) और नई पेंशन योजना (NPS) के बीच सबसे बड़ा अंतर सुरक्षा और स्थिरता का है। OPS के तहत कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के बाद हर महीने उसकी अंतिम सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलता था, जबकि NPS बाजार आधारित है और इसकी राशि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है। इसके अलावा, OPS में परिवार को भी पेंशन का लाभ मिलता था, लेकिन NPS में यह सीमित है। यही कारण है कि कर्मचारी पुरानी व्यवस्था की वापसी चाहते हैं ताकि उन्हें बुजुर्गावस्था में स्थिर आय और मानसिक शांति मिल सके।
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क्या सरकार OPS बहाली पर विचार करेगी?
सरकार ने अब तक पुरानी पेंशन योजना की बहाली पर कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है, लेकिन बढ़ते आंदोलनों और राज्यों के फैसलों के बाद केंद्र पर दबाव बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय का तर्क है कि OPS से सरकार पर भारी आर्थिक बोझ बढ़ेगा, जबकि कर्मचारी इसे अपनी जीवन सुरक्षा का अधिकार मानते हैं। कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को OPS और NPS का एक मिश्रित मॉडल तैयार करना चाहिए जो कर्मचारियों और वित्तीय स्थिरता दोनों के लिए संतुलित हो। 9 नवंबर के इस आंदोलन से यह तय हो सकता है कि आने वाले महीनों में सरकार इस मुद्दे पर किस दिशा में कदम बढ़ाती है।
